भारतीय भागीदारी आंदोलन का राष्ट्रीय अध्यक्ष. मेनें अपनी जिंदगी एवंं अनुभव का ज्ञान हम पर होने वाले अन्याय के खिलाफ लडने के लिए सीखा है.
जब में सीख कर उसका उपयोग कर रहा था उसी समया कोरोना का दौर आया, जिसमें लोगों के साथ जमकर जुल्म ज्यादती और अन्याय अत्याचार हुआ. जिसने मेरे दिल को झकझोर कर रख दिया. मुझे इस अन्याय, अत्याचार की पीडा के खिलाफ लडने की प्रेरणा मिली. मुझे लगा कि लोगों के खिलाफ होने वाले अन्याय, अत्याचार व जुल्म ज्यादती के खिलाफ हमें लडना चाहिए.
आज के इस दौर में नेता अपने स्वार्थ की खातिर इस अन्याय, अत्याचार व जुल्म, ज्यादती के खिलाफ अपना मुंह बंद किये है. यहां तक कि वह अपने स्वमं के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ भी नही बोल पाते हैं.
पार्टियां ऐसे चाटुकारों को टिकिट देकर उनपर पैसा खर्च करते हैं जिन्हें समाज से कोई लेना देना नही होता है और ना ही उन्हे सामाजिक समझ व नियम कानूनों की जानकारी होती है इसलिए समाज की समस्याऐं ज्यों की त्यों बनी रहती हैं वह समाज के प्रतिनिधि न होकर, पार्टियों के प्रतिनिधि बन कर रह जाते हैं.जो संसद व विधान सभाओं में टेविल थपथपाने का कार्य अपनी पार्टी व अपने नेता केे लिए करते रहते हैं स्वाथवाद इतनी तेजी से बढ रहा है कि साम, दाम, दण्ड, भेद किसी भी तरीके से कुर्शी पाकर गलत तरीके अपना कर धनवान बनना चाहता है.
लोग इनकी चालों को समझ नही पाते है जिसकी बजह से लोकतंत्र आने के बाद भी लगातार ठगते चले आ रहे हैं जिसके कारण लोग अपने हक अधिकार व स्वाभिमान सम्मान से जिंदगी जीने के अधिकार से बंचित हैं लोगों के साथ अन्याय, अत्याचार व धोका, धडी का ग्राफ तेजी से बढता जा रहा है
मेंं चाहता हूं कि लोग स्वतत्र व्यक्ति का चयन करे, जो लोगों के लिए काम करे. पार्टियों की गुलामी से मुक्ती पाये और पार्टी लोकतत्र को समाप्त करेे तथा स्वतंत्र प्रतिनिधि लोकतंत्र स्थापित कर लोगों को आर्थिक,सामाजिक, मानसिक व राजनैतिक गुलामी से मुक्ति दिलाये.
में निकल पडा हूं एक मिशन पर जातिगत जनगणना कराकर भारत के ८५ फीसदी लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए. इस आंदोलन को आगेे ले जाने के लिए मुझे चाहिए आप सभी लोगों का साथ.