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व्यापार में भागीदारी


परिचय

हमारे समाज में व्यापार का एक महत्वपूर्ण स्थान है और विभिन्न समुदायों की इसमें भागीदारी का अध्ययन बेहद रोचक और महत्वपूर्ण है। इस पेज पर, हम व्यापार में शामिल विभिन्न समाजिक समूहों और उनके शोषण की स्थिति पर विचार करेंगे।


व्यापार में सवर्णों की भागीदारी

व्यापार में प्रमुख रूप से तीन वर्णों की बड़ी भागीदारी देखी जाती है:

  • ब्राह्मण: 10 प्रतिशत
  • क्षत्रिय: 27 प्रतिशत
  • वैश्य: 60 प्रतिशत

ये तीनों वर्ण मिलकर व्यापार का 97 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित करते हैं।

ग्राफ -१ 

इस ग्राम से पता चलता है कि ब्राम्‍हण जिसकी आवादी ३.५ प्रतिशत है उसकी भागीदारी १० प्रतिशत है क्षत्रिय जिसकी जनसंया ५.५ प्रतिशत है उसकी भागीदारी २७ प्रतिशत है वेश्‍य जिसकी जनसंख्‍या ६ प्रतिशत है उसकी भागीदारी ६० प्रतिशत है शूद्र जिसकी आवदी ८५ प्रतिशत हे उसकी भागीदारी मात्र ३ प्रतिशत है 


पिछडों की व्‍यापार में भागीदारी

वहीं दूसरी ओर, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति की भागीदारी निम्नलिखित है:

  • अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी): 0.8 प्रतिशत
  • अल्पसंख्यक: 2 प्रतिशत
  • अनुसूचित जाति: 0.1 प्रतिशत
  • अनुसूचित जनजाति: 0.1 प्रतिशत

इन सभी समूहों की कुल भागीदारी मात्र 3 प्रतिशत है। इन्हें हम कुल शोषित समूह के रूप में देख सकते हैं।

ग्राफ – २

इस ग्राफ से पता चलता है कि अनुसूचित जाति की आवदी १५ प्रतिशत है लेकिन भागदारी ०.१ प्रतिशत है अनुसमचित जन जाति जिसकी आवादी ७.५ प्रतिशत है भागीदारी ०.१ प्रतिशत है अन्‍य पिछडा वर्ग की आवादी ५२ प्रतिशत है लेकिन भागीदारी ०.८ प्रतिशत भागीदारी है धार्मिक अल्‍प संख्‍यक १०.५ प्रतिशत आवादी है २ प्रतिशत भागीदारी है

ग्राफ – ३

इस ग्राफ में आप देखेगें कि सवर्णों की आवादी १५ प्रतिशत है लेकिन भागीदारी ९७ प्रतिशत है पिछडों की आवादी ८५ प्रतिशत है लेकिन भागीदारी ३ प्रतिशत है इस प्रकार आवादी के विपरीत भागीदारी है

ग्राफ – ४

इस ग्राफ में सवर्णों की आवादी १५ प्रतिशत है भागीदारी १५ प्रतिशत होनी चाहिए इसी प्रकार पिछडों की आवादी ८५ प्रतिशत है भागीदारी ८५ प्रतिशत भागीदारी होनी चाहिएा 

व्‍यापार में आनुपातिक भागीदारी नही देने के कारण दीन दुखियों की जिंदगी जीने को मजबूर हे

ग्राफ – 5

ग्राफ 5  के अनुसार  ३.५ प्रतिशत ब्राम्‍हणों की व्‍यापार में भागीदारी १० प्रतिशत है क्षत्रिय जिसकी जनसंख्‍या ५.५ प्रतिशत है उसकी व्‍यपार में भागीदारी २७ प्रतिशत है वेश्‍य जिसकी आवदी ६ प्रतिशत है लेकिन व्‍यापार में ६० प्रतिशत भागीदारी है एसटी की आवादी ७.५ फीसदी है जिसकी व्‍यापार०.१ प्रतिशत भागीदारी है माइनोरिटी १०.५ प्रतिशत है जिसकी व्‍यापार में भागीदारी २ प्रतिशत है एससी की आवादी १५ प्रतिशत है लेकिन व्‍यापार में भागीदारी ०.१ प्रतिशत है ओबीसी की आवादी ५२ प्रतिशत है लेकिन व्‍यापार में भागीदारी ०.८ प्रतिशत है  जनसंख्‍या के अनुसार नीली रेखा वाई तरफ नीचे से दाई तरफ उपर की और जा रही है व्‍यापार की रेखा भी इसी के उपर से जाना था लेकिन उसके विपरीत जा रही है जो यह बताती है कि एससी, एसटी, ओबीसी एवं माईनोरिटी की व्‍यापार में कितनी बुरी हालत है

ग्राफ ५

ग्राफ ६  के अनुसार  ३.५ प्रतिशत ब्राम्‍हणों की व्‍यापार में भागीदारी ३.५ प्रतिशत होनी चाहिए

 क्षत्रिय जिसकी जनसंख्‍या ५.५ प्रतिशत है उसकी व्‍यपार में भागीदारी ५.५ प्रतिशत होनी चाहिए

 वेश्‍य जिसकी आवदी ६ प्रतिशत है  व्‍यापार में ६ प्रतिशत भागीदारी होनी चाहिए

 एसटी की आवादी ७.५ फीसदी है जिसकी व्‍यापार ७.५  प्रतिशत भागीदारी होनी चाहिए

माइनोरिटी १०.५ प्रतिशत है जिसकी व्‍यापार में भागीदारी १०.५ प्रतिशतहोनी चाहिए

 एससी की आवादी १५ प्रतिशत है व्‍यापार में भागीदारी१५ प्रतिशत होनी चाहिए

 ओबीसी की आवादी ५२ प्रतिशत है व्‍यापार में भागीदारी ५२ प्रतिशत होनी चाहिए

  जनसंख्‍या के अनुसार नीली रेखा वाई तरफ नीचे से दाई तरफ उपर की और जा रही है उसी तरह हरी व्‍यापार की रेख भी वाई तरफ नीचे से दाई तरफ उपर की ओर जानी चाहिए तभी व्‍यापारिक समानता स्‍थापित होगी


व्‍यापार में भागीदारी का तुलनात्मक विश्लेषण

इस तुलनात्मक विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि व्यापार के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा असमानता है। जहाँ सवर्ण 97 प्रतिशत है, वहीं पिछर्डा वर्ग मात्र 3 प्रतिशत है।


क्रोनी कैपिटलिज्म

क्रोनी कैपिटलिज्म एक पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जिसमें राजनीतिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ करीबी संबंध रखने वाले व्यक्ति या व्यवसाय बाजार में अनुचित लाभ हासिल करने के लिए अपने राजनीतिक संबंधों का उपयोग करते हैं।

अपनी पेट के आधार पर सामग्री का असीमित भण्‍डारण करने, असीमित पूंजी जमा करने, असीमित भूमि पर अधिपत्‍य करने की नितियां अपने फवर में बनवाये हुए हैं क्‍योकि यह सभी को दान के नाम पर रिस्‍वत देते है और अपने अनुसार काम करवाते है 

सरकार ने व्‍यापारियों के हित में नीतियां बनाई हैं जैसे 

व्‍यापारी को सालाना इनकमटेक्‍स रिटर्न के आधार पर बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे लोन मिल जाता है 

व्‍यापारी का माल गोदाम में रखा हो तो उसे माल की कीमत का ७५ प्रतिशत लोन मिल जाता है

खेती पर केसीसी के नाम से नाम मात्र की लिमिट बनाई जाती है जबकि प्‍लाट या मकान पर उसकी बाजारू मूल्‍य के हिसाब से लोन देती है

प्रभाव और समाधान

असमानता के प्रभाव

  1. आर्थिक असमानता: सवर्ण अधिक संसाधन और अवसर प्राप्त करते हैं, जबकि पिछड को सीमित संसाधन और अवसर मिलते हैं।
  2. सामाजिक असमानता: यह असमानता समाज में विभाजन और भेदभाव को बढ़ावा देती है।
  3. विकास की गति में कमी: पिछडों की भागीदारी कम होने के कारण समग्र विकास की गति धीमी हो जाती है।

समाधान के सुझाव

  1. पिछडों के लिए अवसर बढ़ाना: व्यापार में पिछडों के लिए अधिक अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
  2. शिक्षा और प्रशिक्षण: पिछडों के लिए विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।
  3. आर्थिक सहायता: सरकारी नीतियों के माध्यम से पिछडों को आर्थिक सहायता प्रदान करना चाहिए।
  4. समाज में समता और समानता का प्रचार: समाज में समता और समानता का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

निष्कर्ष:

जब तक सभी जातियों को व्‍यापार में समान भागीदारी नहीं मिलती, तब तक समाज में वास्तविक समानता प्राप्त नहीं की जा सकती।

व्‍यापार के क्षेत्र में जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने और सवणों के वर्चस्व को तोड़ने के लिए समग्र और सतत प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए कानूनी सुधार, व्‍यापार और सामाजिक जागरूकता अभियान आवश्यक हैं। 


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