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हिन्‍दू धर्म में भागीदारी 

क्‍या आप देते हैं ब्राम्‍हण को दान?? तो हो जाइये सावधान! जानिये क्‍या है आपकी पीढी दर पीढी को गूलाम बनाने का एटीएम प्‍लान..

१. एटीएम

हिन्‍दू धर्म के इस पूरे सिस्‍टम को एक एटीएम मशीन के उदाहरण से समझने का प्रयास करते है 

एटीएम मशीन जो बैंको के द्वारा लगाई जाती है जिसमे बैंक के खाता धारक अपने खाते में जमा राशि को एटीएम मशीन से निकाल सकते है जितना पैसा खाते मे जमा करते है उसके ब्‍याज सहित निकाल सकते है

यदि खाते में ब्राम्‍हण जमा करता है तो ब्राम्‍हण ही निकाल सकता है  क्षत्रिय जमा करता है तो क्षत्रिय ही निकाल सकता है वेश्‍य जमा करता है तो वेश्‍य ही निकाल सकता और सूद्र या अन्‍य कोई जमा करता है तो वह जमाकर्ता व्‍यक्ति ही व्‍याज सहित निकाल सकता है जगह जगह पैसे निकालने के लिए बैको के एटीएम है

इसकी मुख्‍य विशेषताऐं

१. इसमे से धन निकासी कोई भी जमाकर्ता कर सकता है

२. यह सभी जमाकर्ताओं के लिए होता है 

३. इसमे जमाकर्ता ही राशि निकाल सकता है

४. इसमे धन निकालने वाला जमाकर्ता होना जरूरी है

५. इस एटीएम को बनाने का खर्चा बैंक को उठाना पडता है 

बैक मध्‍यस्‍थ का काम करता है

६. इसमे जमामर्ता को ब्‍याज मिलता है

७. इसका पंजीयन आवश्‍यक है

६. इसके लिए अनुमति लेना आवश्‍यक है

७. इसके आय व्‍यय का व्‍योरा देना आवश्‍यक है

हिन्‍दू धर्म एक ऐसा एटीएम है 

हिन्‍दू धर्म में छत्रिय, वेश्‍य, शूद्र व अन्‍य जमा करते है और निकालता सिर्फ ब्राम्‍हण है जो जमा करता है वह नही निकाल सकता है जो जमा नही करता है वह निकालता है यह प्रत्‍येक ब्राम्‍हण के अलग होता है जमा करने बाला नही निकाल सकता है ब्राम्‍हण इसमें कभी जमा नही करता है लेकिन हमेशा निकालता है बाकी सब घंटा बजाते हैं जमा करने बाला जीवी समाज होता है जो मेहनत करके कमाता खाता है निकालने वाला परजीवी होता है जो बिना मेहनत के मूर्ख बनाकर खता है हर गली मोहल्‍ले मे मंदिर ब्राम्‍हणों के एटीएम है

बाकी बजाओ घण्‍टा

हिन्‍दू धर्म के एटीएम की मुख्‍य विशेषताऐं

१. इसमे से धन निकासी सिर्फ ब्राम्‍हण कर

    सकता है

२. यह जिस ब्राम्‍हण के लिए निर्धारित है वही 

    निकाल सकता है

३. इसमे जमाकर्ता राशि नही निकाल सकता 

    है

४. इसमे धन निकालने वाला कभी जमा नही 

    करता है

५. इस एटीएम को बनाने का खर्चा जमा कर्ता 

    को उठाना पडता है इसमे कोई मध्‍यस्‍थ 

    नही होता है

६. इसमे जमामर्ता को ब्‍याज नही मिलता है

७. इसका पंजीयन आवश्‍यक नही है

हिन्‍दू धर्म में ब्राम्‍हणों के लिए छूट

इन्‍कमटेक्‍स में छूट

मदिर बनाने के लिए परमीशन की आवश्‍यकता नही 

धार्मिक आयोजनो के लिए परमीशन आवश्‍यक नही 

योक्‍यता मे छूट  अनपढ गवार भी पण्डिताई कर सकता है

ब्राम्‍हणों पंडिताई मे अयोग्‍य होने पर बदल नही सकते हैं

ब्राम्‍हण के पास डिग्री नही होती है 

ब्राम्‍हण के पास डिप्‍लोमा भी नही होती है 

ब्राम्‍हण के पास किसी प्रशिक्षण संस्‍थान का प्रमाण पत्र भी नही होती है 

ब्राम्‍हण पूरी तरह से झोला छाप डाक्‍टर की तरह अनाडी होता है 

झोल छाप डाक्‍टर से इलाज कराओंगे तो क्‍या होगा 

झोला छाप ब्राम्‍हण से कर्मकाण्‍ड करवाओगे तो क्‍या होगा 

जब तक सभी वर्गों को समान धार्मिक अधिकार नहीं मिलते, तब तक समाज में वास्तविक समानता नहीं आ सकती।

इसके लिए शिक्षा, कानूनी सुधार, और सामाजिक जागरूकता महत्वपूर्ण हैं। 

भारत में अधिकांश मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति जाति के आधार पर की जाती है, जिसमें ब्राह्मणों का प्रभुत्व है। 

 धार्मिक कार्यों से होने वाली आय पर आमतौर पर कोई कर नहीं लगता है। इसका बड़ा हिस्सा पुजारियों को मिलता है, जिनमें से अधिकांश ब्राह्मण होते हैं।

·         हिन्‍दू धर्म में वंचित वर्गों का बहिष्कार:

अन्य जातियों, विशेषकर दलित और पिछड़े वर्गों, को धार्मिक नेतृत्व और पुजारी बनने के अवसर से वंचित किया जाता है। इससे धार्मिक और सामाजिक असमानता बढ़ती है।

·         आर्थिक विषमता

: धार्मिक कार्यों से होने वाली आय का बड़ा हिस्सा ब्राह्मणों के पास जाता है, जिससे आर्थिक विषमता बढ़ती है। अन्य जातियों को इस आय से वंचित रखा जाता है, जिससे उनके आर्थिक सुधार की संभावना कम होती है।

एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 500,000 से अधिक मंदिर हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां हर साल करोड़ों का चढ़ावा आता है। 

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने अनुमान लगाया था कि भारत में सोना 24,000 टन 

भारत के हिन्‍दु धर्म के अमीर मंदिर

है। देश में मंदिरों के पास सोने का अनुमान 3,000-4,000 टन हो सकता है।

केरल में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर को दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। ये मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में है। 

मंदिर की 6 तिजोरियों में कुल 20 अरब डॉलर की संपत्ति है।

 मंदिर के गर्भग्रह में विष्णु की बहुत बड़ी सोने की मूर्ति विराजमान है, जिसकी कीमत 500 करोड़ रुपये है।

लगभग 1,300 टन सोने के आभूषणों से 22 बिलियन डॉलर मूल्य की खोज की। अब तक पाँच गुप्त तहखानों में पाया गया।

    यहां सालाना 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा का चढ़ावा आता है.

   साल 2023 में मंदिर की कुल संपत्ति 1,20,000 करोड़ रुपए बताई गई थी.

 मंदिर में रोज 150,000 लड्डू रोज बनाए जाते हैं, जिससे मंदिर सालाना आय लगभग 1 करोड़ से अधिक होती है.

आंध्र प्रदेश का तिरूपति बालाजी मंदिर 

इस मंदिर में हर साल करीब 650 करोड़ रुपये का चढ़ावा आता है।

३०० टन सोना 15900 करोड़ रुपए की नकदी है

·         यहां मंदिर में भक्त अपने आराध्य के निमित्त बालों का दान करते हैं. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट हर दिन तालानिला (दान में मिले बाल) से करीब 1400 किलो बाल इक्ट्‌ठा करता है.  ट्रस्ट साल में 4 से 5 बार बालों की नीलामी का आयोजन करता है. इसमें कलर या डाई किए बाल, सफेद बाल और काले बाल इत्यादि को अलग किया जाता है. उसके बाद उनकी नीलामी ग्रेड के आधार पर होती है.    ट्रस्ट को बालों की नीलामी से करीब 150 करोड़ रुपए की इनकम होती है.

मंदिर के पास भारत में कुल 960 संपत्तियां हैं. जिसकी अनुमानित कीमत 85,705 करोड़ रुपये है.

शिरडी सांई मदिर महाराष्‍ट्र 

४५४ किलो ग्राम सोना

 हर साल 480 करोड़ रुपए का दान आता है. मंदिर की संपत्ति में 380 किलो सोना, 4428 किलो चांदी, डॉलर, पाउंड जैसी विदेशी मुद्राए बड़ी मात्रा में धन के साथ 1800 करोड़ रुपए जमा हैं.

वैष्णो देवी मंदिर –

  एक रिपोर्ट के मुताबिक 500 करोड़ रुपये सालाना यहां के श्राइन बोर्ड को भक्तों के चंदे से मिलते हैं.

धार्मिक संस्थानों की आय और खर्चों का विस्तृत लेखा-जोखा अक्सर पारदर्शी नहीं होता।

धर्म के नाम पर ब्राह्मणों को होने वाली आय के विषय में सटीक जानकारी जुटाना काफी कठिन है, क्योंकि यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती 

पुजारियों की आय:मंदिरों की आय का एक हिस्सा पुजारियों को वेतन और भत्तों के रूप में दिया जाता है। इसके अलावा, पुजारियों को निजी तौर पर भक्तों द्वारा दिए गए दक्षिणा (भेंट) से भी आय होती है।

·    दक्षिणा और भेंट: धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे विवाह, उपनयन, श्राद्ध, आदि के दौरान पुजारियों को दक्षिणा दी जाती है, जो उनकी व्यक्तिगत आय का एक बड़ा हिस्सा होती है।

 यज्ञ और हवन: बड़े यज्ञ और हवन आयोजनों में पुजारियों को अच्छी खासी रकम मिलती है।

 अन्य स्रोत:

·         आध्यात्मिक शिक्षण: कई ब्राह्मण पुजारी और गुरू आध्यात्मिक शिक्षण, प्रवचन और धार्मिक शिक्षण के माध्यम से भी आय अर्जित करते हैं।

·         धार्मिक कार्यक्रम: टीवी चैनल्स, यूट्यूब, और अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर धार्मिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले ब्राह्मणों को भी अच्छा खासा पारिश्रमिक मिलता है।

धार्मिक आय का बड़ा हिस्सा अक्सर टैक्स मुक्त होता है, जिससे इसकी वास्तविक आर्थिक गणना और भी जटिल हो जाती है।

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में मंदिरों के पुजारियों का वेतन बढ़ाया है। अब छोटे मंदिरों के पुजारी जो पहले 5,000 रुपये प्रतिमाह कमाते थे, उन्हें 10,000 रुपये प्रतिमाह मिलता है, और बड़े मंदिरों के पुजारी जो पहले 10,000 रुपये प्रतिमा​ (Fincash India)​ 15,650 रुपये प्रतिमाह मिलता है

तेलंगाना:

 सरकारी नियुक्ति: तेलंगाना में मंदिरों के पुजारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया गया है।

वेतन वृद्धि: इन पुजारियों के वेतन में 30% की वृद्धि की गई उन्हें राज्य सरकार के खजाने से वेतन दिया जाता है

तमिलनाडु के मंदिरों से प्राप्त होने वाली 1,219.65 करोड़ रुपये की आय वार्षिक (सालाना) होती है। 

तमिलनाडु के मंदिरों के पास लगभग 4,78,272 एकड़ ज़मीन है, जिसमें से 2,22,000 एकड़ मंदिरों की और 56,000 एकड़ विभिन्न मठों की है

भारत में मंदिरों से जुड़ी भूमि का स्वामित्व मुख्य रूप से देवताओं के नाम पर होता है और पुजारियों को केवल पूजा करने और मंदिर की संपत्ति का प्रबंधन करने का अधिकार होता है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, मंदिर की भूमि का वास्तविक मालिक देवता होता है और पुजारी केवल व्यवस्थापक होते हैं

जो भगवान के नाम पर मांग कर खाये उसे पुजारी कहते है और जो खुद के नाम पर मांग कर खाये उसे भिकारी कहते हैं

जब हिन्‍दू धर्म का प्रचार होता हे और धर्म बढता है तो ब्राम्‍हणें के पुजारियों की सख्‍या बढती है और हमारे भिखारियों की संख्‍या बढती है

ब्राम्‍हणों की संख्‍या के अनुपात में हो रही है मंदिरों की संख्‍या में बृद्वि , क्‍यों कि प्रत्‍येक ब्राम्‍हण को अपना अलग एटीएम चाहिए

मदिरों की गिनती कराई जाय

कितने पुजारियों को इन मंदिरो से राजगार मिला है इसकी गिनती कराई जाय

ये पुजारी किस जाति के है

हिन्‍दू धर्म चार मंजिला इमारत है इसमे जो जिस मंजिल पर पैदा होता है उसी मंजिल पर मरता है उपर नीचे जाने का रास्‍ता नही है  चाहे जैसे अच्‍छे बुरे कर्म करे.

१. चौथी मंजिल का नाम ब्राम्‍हण है जिसमे ३.५ लोग निवास करते है

२. तीसरी मंजिल का नाम क्षत्रिय है जिसमे ५.५ लोग निवास करते है

३. दूसरी मंजिल का नाम वेश्‍य है जिसमे ६ लोग निवास करते है

४ पहली मंजिल का नाम शूद्र है जिसमे ८५ लोग निवास करते है

४ पहली मंजिल को तीन वर्गो में विभाजित किया है 

१. उपर का वर्ग ओबीसी के लिए है जिसमें ५२ लोग रहते हैे  

२. बीच का वर्ग एससी के लिए है जिसमें १५ लोग रहते हैे 

३. नीचे का वर्ग एसटी के लिए है जिसमें ७.५ लोग रहते हैे 

व अन्‍य १०.५ लोग रहते है

४ पहली मंजिल वाले धार्मिक रूप से गरीब है

४ ब्राम्‍हणववादी व्‍यवस्‍था  के अनुसार पहली मंजिल वालो की निम्‍न खासियत है

१   इनके छूने से छूत लग जाती है

२. यह शिक्षा ग्रहण करने पर सांप की तरह जहरीले हो जाते है

३. इनके मंदिर में प्रवेश करने से भगवान मंदिर छोड कर भाग जाते हैं

४  इनके मंदिर में प्रवेश से मंदिर अपवित्र हो जाता है

५. इनके खाने पीने के वर्तन अलग रखे जाते है जो इन्‍ही से मजवाये जाते है

६. इनको धन, संपत्ति रखने, शस्‍त्र धारण करने, शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नही है

७. इनका का काम मात्र सेवा करना है यह दो प्रकार के होते है सछूत शूद्र व अछूत शूद्र

३.

हिन्‍दू धर्म में भागीदारी

८५ प्रतिशत लोगो की हिन्‍दू धर्म में भागीदारी 

० प्रतिशत है 

जबकि होनी चाहिए ८५ प्रतिशत भागेदारी

इनका पूरा हिस्‍सा ब्राम्‍हण छीने हुए है

८५ प्रतिशत लोग  मंदिरों में चढाते है

ब्राम्‍हण कुछ नही चढाता है उसके बाद भी ले पूरा जाता है

धन दोलत सब इसमे चढा दो

तुम 

ले लो घंटा

४.ईश्‍वर

क्‍या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नही आते

क्‍या तुम खुसामद परस्‍त हो जो लोगों से दिन रात पूजा, अर्चना करवाते रहते हो

क्‍या तुम हमेशा भूखे रहते हो जो लोगों से मिठाई, दूध, धी आदि लेते रहते हो

क्‍या तुम मांसाहारी हो जो लोगों से निर्वल पशुओं की बलि मागते हो

क्‍या तुम सोने के व्‍यापरी हो जो मंदिरों में लाखों टन सोना दबाये बैठे हो

क्‍या तुम व्‍याभिचारी हो जो मंदिरों में देव दासियां रखते हो

क्‍या तुम कमजोर हो जो हर रोज होने वाले बलात्‍कारों को नही रोक पाते हो

क्‍या तुम मूर्ख हो जो विश्‍व के देशों में गरीबी भुखमरी होते हुए भी अरबो रूपये काअन्‍न, दूध, घी, तेल बिना खाए ही नदी नालों मे बहा देते हो

क्‍या तुम बहरे हो जो बेबजह मरते हुए आदमी, बलात्‍कार होती हुई मासूमों की आवाज नही सुन पाते हो

१०

क्‍या तुम अंधे हो जो रोज अपराध होते हुए नही देख पातेे हो

११

क्‍या तुम आतंकवादियों से मिले हुए हो जो रोज धर्म के नाम पर लाखों लोगों को मरवाते रहते हो

१२

क्‍या तुम आतंकवादी हो जो ये चाहते हो कि लोग तुमसे डरकर रहें

१३

क्‍या तुम गूंगे हो जो एक शब्‍द नही बोल पाते लेकिन करोडों लोग तुमसे लाखों सवाल पूछते हैं

१४

क्‍या तुम भ्रष्‍टाचारीचारी हो जो गरीबों को कभी कुछ नही देते जबकि गरीब पशुवत काम करके कमाये पैसे का कतरा कतरा तुम्‍हारे उपर न्‍योछावर कर देते हैं

१५

क्‍या तुम मूर्ख हो कि हम जैसे नास्तिकों को पैदा किया जो तुम्‍हे खरी खोटी सुनाते रहते हैं और तुम्‍हारे अस्तित्‍व को ही नकारते हैं

पाखण्‍डवाद का मायाजाल

जातियां ब्राम्‍हणों ने बनाई हैं

५. 

अंधविश्‍वास

माफिया वाले बंदूक दिखाकर डराते हैं

हिन्‍दू धर्म की मूत्र पार्टी

जनता कल्‍फयू का हिन्‍दू धर्म मे आडंबर

मुशलमानो को बदनाम करने की साजिस और हिन्‍दू धर्म को प्रोत्‍साहन

हिन्‍दु धर्म में १६ संस्‍कार

1.हिन्‍दू धर्म में गर्भाधान संस्कार

2. हिन्‍दू धर्म में पुंसवन संस्कार

3. हिन्‍दू धर्म में सीमन्तोन्नयन संस्कार

4.हिन्‍दू धर्म में जातकर्म संस्कार

5. हिन्‍दू धर्म में नामकरण संस्कार

6.हिन्‍दू धर्म में निष्क्रमण संस्कार

7. हिन्‍दू धर्म में अन्नप्राशन संस्कार

8. हिन्‍दू धर्म में मुंडन/चूडाकर्म संस्कार

9. हिन्‍दू धर्म में विद्यारंभ संस्कार

10. हिन्‍दू धर्म में कर्णवेध संस्कार

11. हिन्‍दू धर्म में यज्ञोपवीत संस्कार

12.हिन्‍दू धर्म में वेदारम्भ संस्कार

13. हिन्‍दू धर्म में केशान्त संस्कार

14.हिन्‍दू धर्म में समावर्तन संस्कार

15. हिन्‍दू धर्म में विवाह संस्कार

16. हिन्‍दू धर्म में अन्त्येष्टि संस्कार/श्राद्ध संस्कार

शेर का विलीव सिस्‍टम

हिन्‍दु धर्म में धागा बंधन

हिन्‍दु धर्म में सुधार और समाधान

·         समान अवसर: सभी जातियों को धार्मिक पुजारी बनने का समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। इसके लिए कानूनी और सामाजिक सुधार आवश्यक हैं।

·         नीतिगत सुधार: सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए, जो धार्मिक संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करें और सभी को समान अवसर प्रदान करें।

·         शिक्षा और प्रशिक्षण: सभी जातियों के लोगों को धार्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे वे भी पुजारी बनने के योग्य बन सकें।

·         सामाजिक जागरूकता: समाज में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, जिससे जाति आधारित भेदभाव को समाप्त किया जा सके।

 हिन्‍दू धर्म के उदाहरण और प्रगति

केरल का उदाहरण: केरल में 2018 में उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि सभी योग्य व्यक्तियों को, उनकी जाति की परवाह किए बिना, मंदिरों में पुजारी बनने की अनुमति दी जानी चाहिए। 

पुजारी बनने के लिए उम्मीदवार को उपरोक्त क्षेत्रों में पूरी योग्यता रखनी चाहिए। 

·         हिन्‍दू धर्म के सामाजिक आंदोलन: कई सामाजिक और धार्मिक सुधारक और संगठन इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। वे समानता और न्याय की मांग कर रहे हैं और जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

जब तक सभी जातियों को धार्मिक नेतृत्व में समान भागीदारी नहीं मिलती, तब तक समाज में वास्तविक समानता प्राप्त नहीं की जा सकती।

धार्मिक क्षेत्र में जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने और ब्राह्मणों के वर्चस्व को तोड़ने के लिए समग्र और सतत प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए कानूनी सुधार, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता अभियान आवश्यक हैं। 

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