भारतीय भागीदारी आंदोलन का अदय
जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पूरे देश में 7 मई 2020 से भारतीय भागीदारी आंदोलन चलाया जा रहा है जिससे जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। 1931 में अंतिम बार जातिगत जनगणना हुई थी जिसके आंकड़ों को सरकार अभी तक उपयोग कर रही है लेकिन न्यायालय पुराने आंकड़ों को नही मानते हैं जिसकी वजह से कई याचिकाएं लंबित हैं। पुराने आंकड़े वर्तमान परिस्थिति में उपयोगी नही है इसलिए जातिगत जनगणना कराकर नए आंकड़ों के आधार पर सरकार योजनाएं बनाएं और उन्हें लागू करे। आजादी के 75 वर्ष मैं किसका विकास हुआ और गरीब क्यों पिछड़ गया। इसका पता लगेगा। किस समाज में कितने पढ़े लिखे व अधिकारी कर्मचारी हैं। किस जाति में कितनी संपत्ति है कितनी भूमि, उद्योग, व्यापार, धर्म, न्यायपालिका और राजनीति में भागीदारी है। किस समाज में कितनी गरीबी है अलग अलग जातियों में अलग अलग समस्याएं हैं उनकी पहिचान हो सकेगी। जिसके लिए सरकार योजनाएं बना कर विकाश से पिछड़ी हुई जातियों को मुख्य धारा में ला सकते हैं पिछड़ा वर्ग आयोग प्रत्येक 10 वर्ष एससी/एसटी/ओबीसी की जातियों की सूची की समीक्षा करता है और विकास के मानकों के आधार पर जातियों को सूची से बाहर निकलना एवं सम्मिलित करने का काम करता है। जातिगत जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष में नही होने के कारण जो जातियां जिस सूची में शामिल होकर लाभ ले रही हैं वह आगे भी लेती रहेंगी और जो लाभ से वंचित हो गई है वह आगे भी वंचित रहेगी। जिसकी वजह से कुछ जातियां शिक्षा, राजनीतिक एवं आर्थिक लाभ से वंचित रह गई जो विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है जिनको प्रीमिटिव ट्राइव के नाम से जाना जाता है। जातिगत जनगणना नहीं होने के कारण योजना आयोग भी इन जातियों के विकास के लिए योजना नहीं बना पा रहा है और नही आरक्षण जैसी स्किमो का लाभ मिल पा रहा है जिसकी वजह से शासन व प्रशासन मै इन जातियों की भागीदारी नगण्य है शासन व प्रशासन में काबिज 10 प्रतिशत लोगों ने 90 प्रतिशत लोगों के हिस्से पर कब्जा कर लिया है धन, धरती, राज पाट, उद्योग व्यापार, धर्म, न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका आदि सभी क्षेत्रों में अनुपातिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जातिगत जनगणना बहुत ही जरूरी है इसलिए भारतीय भागीदारी आन्दोलन का नारा है: 100 मे 90 शोषित है शोसितों ने ललकारा है धन, धरती और राज पाट में, 100 में 90 भाग हमारा है। जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी लेके रहेगें।
नमस्ते
मेरा नाम लखपत सिंह किरार है ग्वालियर का रहने वाला हूं पन्ना में रहता हूं मैं निकल पड़ा हूं एक मिशन पर, जातिगत जनगणना कराकर भारत के 85 फ़ीसदी लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए. ये काम में अकेला नही कर सकता, इसलिए आपकी मदद चाहता हूं यदि आप मदद करना चाहत हैं तो मेरा साथ दे.